Pinaka Times, Faridabad :
बिना किसी पारीवारिक संपन्नता के सफलता कैसे हासिल की जा सकती है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं एसआरएस गु्रप के सीएमडी डा. अनिल जिंदल। बल्लभगढ़ के छोटे से गांव फिरोजपुर कलां से संबंध रखने वाले डा. जिंदल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। अनिल जिंदल का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। पिता की सख्त मिजाजी के चलते अनुशासन में रहना उन्होंने बचपन से ही सीखा है। पढऩे का शौक उन्हें बचपन से रहा है। उनके पिता उन्हें कॉमर्स में प्रवेश दिलाना चाहते थे परंतु सीट खाली न होने के कारण अनिल जिंदल को आर्ट्स व ह्यमैनिटीज स्ट्रीम ही मिल सकी। कॉलेज के दूसरे वर्ष में उन्हें अपने मनपसंद विषय को लेने का अवसर मिला। अनिल जिंदल ने सारे एग्जाम्स टॉप किए। स्थिति यह बन गई कि प्रथम वर्ष के छात्र उन्हें कोचिंग के लिए एप्रोच करने लगे। श्री जिंदल न केवल अपने जूनियर्स को पढ़ाते थे बल्कि उनके क्लासमेट भी उनसे पढऩे आते थे। श्री जिंदल ने बल्लभगढ़ में एक कमरा किराए पर लिया और उनकी कोचिंग पूरे बल्लभगढ़ में काफी मशहूर हो गई। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनके कॉलेज ने उन्हें लैक्चरर की जॉब ऑफर की। उस वक्त अनिल जिंदल ने कॉमर्स में अपनी पोस्ट ग्रेज्युएशन कंपलीट की थी इसके साथ ही वे सीए व लॉ भी कर रहे थे। श्री जिंदल ने जॉब का ऑफर स्वीकार नहीं किया। 1988-89 में अनिल जिंदल ने एक नई कंपनी बीटीएल लिमिटेड के नाम से शुरु की। जोकि वाहनों व लोगों की दैनिक जरूरतों के लिए फाइनेंस करती थी। इसके बाद उन्होंने फरीदाबाद शहर के लिए एक वेंचर सरकार को भेजा। सरकार व प्रशासन के सकारात्मक सहयोग के चलते उन्हें 3 एकड़ जमीन दी गई जिस पर अनिल जिंदल ने सैक्टर-12 में मल्टीप्लैक्स की शुरुआत की। उन्होंने अपने दो दोस्त पीके कपूर, जेके गर्ग के साथ मिलकर एक नई शुरुआत की जिसे सब रहो साथ का नाम दिया गया जिसे अब एसआरएस के नाम से जाना जाता है। एसआरएस गु्रप की दो प्रमुख कंपनियों एसआरएस लिमिटेड जिसके तहत एसआरएस सिनेमा,रिटेल स्टोर्स, फूड कोर्ट, ज्वैलरी स्टोर्स संचालित हैं तथा दूसरी कंपनी एसआरएस रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जिसके तहत रियल इस्टेट डेवलेपमेंट के प्रोजैक्ट चलाए जा रहे हैं। एक डेयरी के काम से कॉमर्स प्रोफैसर तथा इसके बाद सफलता की ऊंचाईयों तक का सफर डा. अनिल जिंदल ने काफी सहजता से पार किया है। इन सबके बीच एक विशेष बात यह भी है के आज के समय में भी डा. अनिल जिंदल का परिवार संयुक्त परिवार है जिसमें 40 लोग रहते हैं और एक ही किचन का प्रयोग किया जाता है। उनकी पत्नी शशि सही मायनों में उनकी सोलमेट रही हैं जिन्होंने हर पड़ाव पर उन्हें सकारात्मक बने रहने की प्रेरणा दी। अनिल ङ्क्षजदल के बेटे प्रतीक जिंदल अपने पिता के बिजनेस में सहयोग कर रहे हैं तथा अपने पिता को ही वे अपना रोल मॉडल मानते हैं। डा. अनिल जिंदल अपनी सफलता का श्रेय भगवान के आशीर्वाद को देते हैं। उनके अलावा वे सब रहो साथ का अनुसरण करते हुए सभी को साथ जोड़ रखने में विश्वास रखते हैं। सामाजिक व धार्मिक कार्यों में श्री जिंदल का विशेष योगदान रहता है। शालीन व मृदु भाषी होने के कारण अनिल जिंदल न केवल वैश्य समुदाय बल्कि पूरे शहर के लिए एक मिसाल हैं। व्यवहारिकता में उनका कोई सानी नहीं है। मेहनत को ही श्री जिंदल सफलता की सीढ़ी मानते हैं।